05 March 2022

अलिफ लैला बूढ़े और उसकी हिरनी की कहानी - Alif Laila The Story of the Old Man and His Deer

Alif Laila Buddha Aur Uski Hirni Story In Hindi

राक्षस की अनुमति मिलते ही बुजुर्ग ने अपनी कहानी बतानी शुरू की। बूढ़ा बोला ‘ये हिरणी जो आप मेरे साथ देख रहे हैं, असल में यह मेरी पत्नी है। जब मैं 12 साल का था तो मेरा विवाह इससे हुआ था। लेकिन आप लोग चौंकिए मत ये शुरू से हिरणी नहीं थी। मैं आपको धीरे-धीरे पूरी कहानी बताऊंगा। आप सभी धीरज रखकर सुनिएगा।’ सभी यह जानने के लिए उत्सुक थे कि आखिर बूढ़े की पत्नी के साथ क्या हुआ, वह हिरणी कैसे बन गई। सभी गोल घेरा बनाकर बैठ गए और बुजुर्ग ने कहानी शुरू की। उसने बताया, ‘जब मेरा विवाह हुआ तो हिरणी एक सुंदर बालिका हुआ करती थी जो बेहद पतिव्रता थी। मेरी हर बात मानती थी। हम हंसी-खुशी रह रहे थे।

शादी के 30 साल तक हमें कोई बच्चा नहीं हुआ। संतान की चाहत में मैंने दूसरा विवाह किया। जिससे एक पुत्र का जन्म हुआ। मेरी पहली पत्नी को ये रास नहीं आया। वह मेरी दूसरी स्त्री और संतान से जलने लगी। एक रोज मेरे न रहने पर उसने दोनों के साथ बहुत बुरा किया। बुजुर्ग न बताया कि दूसरी स्त्री और बच्चे को प्रताड़ित करने के लिए इसने जादू-टोने का सहारा लिया और दोनों को जानवर बना दिया। इसने मेरी दूसरी स्त्री को गाय बना दिया और बच्चे को बछड़ा बना दिया। मेरी अनुमति के बिना इसने उन दोनों को नौकर के हाथों में सौंप दिया।

बुजुर्ग बोला, ‘जब मैं घर लौटा और स्त्री-बच्चे का हाल पूछा तो इसने मुझसे कहा कि स्त्री मर गई और बच्चा बिना बताए कहीं चला गया है। मैं मायूस हुआ, कुछ दिन तक खोजबीन की फिर छोड़ दिया।’ कुछ महीनों बाद ईद का त्योहार आया और मेरी इच्छा हुई कि मैं पशु की बलि दूं। मैंने अपने नौकर को बुलाया और एक गाय को लाने के लिए कहा। संयोग से नौकर जिस गाय को लाया वह मेरी दूसरी स्त्री निकली जो जादू-टोना से गाय बन गई थी। जब मैंने उसे बलि देने के लिए वेदी पड़ चढ़ाया तो वे दहाड़ने-रोने लगी। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। गाय की ये हालत देखकर मुझे दया आ गई और मुझसे छुरी न चली। मैंने नौकर से कहा कि इसे ले जा और इस बार बछड़े को लेकर आना।

नौकर आज्ञा मानकर चला गया और कुछ देर बाद एक हष्ट-पुष्ट को लेकर लौटा। विधि का विधान ऐसा हुआ कि जो बछड़ा आया वह मेरा पुत्र निकला। मुझे देखते ही वह मेरे पैरों में गिर पड़ा। मैं उसका व्यवहार समझ नहीं पाया। लेकिन अंदर ही अंदर मुझे उसे बछड़े के लिए पीड़ा होने लगी। मैंने नौकर से कहा, ‘तू इस बछड़े को ले जा, मैं इसकी बलि नहीं दे पाऊंगा।’ इतने में मेरी पत्नी जिद पर अड़ गई और बछड़े की कुर्बानी के लिए कहने लगी। लेकिन मेरा मन इसके लिए तैयार नहीं हुआ और मैंने बलि देने का इरादा ही टाल दिया।

अगले दिन सुबह-सुबह नौकर मेरे पास आया। उसने मुझे बछड़े और गाय की असली पहचान बताई। सारी बात सुनकर मैं स्तब्ध रह गया। मैंने उससे कहा कि, ‘तुम मेरी पत्नी पर इतना बड़ा इल्जाम कैसे लगा सकते हो और मैं कैसे मान लूं कि तुम सच बोल रहे हो?’ नौकर ने कहा, ‘मालिक मेरी बेटी जादू-टोने में कुशल है। उसने ही मुझे ये बात बताई है। आप मेरा भरोसा करें।’ तसल्ली करने के लिए बुजुर्ग बोला मैं दोबारा उस गाय और बछड़े से मिलना चाहता हूं। नौकर बोला, ‘ठीक है मालिक जैसा आप कहें।’ वह गाय और बछड़े के पास मुझे ले गया। मैं जैसे ही उन दोनों के करीब पहुंचा दोनों दहाड़े मारकर रोने लगे। मैं उन्हें रोता देख नहीं पाया। मैंने प्यार से उनके सिर पर हाथ फेरा। मुझे विश्वास हो गया कि ये दोनों मेरे अपने हैं। मैंने नौकर से कहा कि ‘मैं तुम्हारी बेटी से मिलना चाहता हूं ताकि मेरा विश्वास और प्रबल हो जाए।’

नौकर की बेटी ने मुझे प्रणाम किया और बोली ‘मैं आपकी पत्नी और बेटे को मनुष्य स्वरूप में वापस ले आऊंगी लेकिन मेरी दो शर्त हैं जो आपको माननी होगी। बुजुर्ग उसकी बात से सहमत हो गया और शर्त पूछी। लड़की बोली, ‘पहली कि आप अपने पुत्र का विवाह मेरे साथ कर देंगे और दूसरी ये कि जिसने आपकी पत्नी और बेटे का ये हाल किया आप उसे भी दंड देंगे।’ बुजुर्ग बोला ‘मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है। जहां तक बात रही दोषी को दंड देने की तो ये निर्णय मैं तुम पर छोड़ता हूं। तुम उसके साथ जो करना चाहो कर सकती हो।’ लड़की ने बुजुर्ग का आभार किया और जादू-टोना का सहारा लेकर गाय और बछड़े को पुराने स्वरूप में ला दिया। बुजुर्ग अपनी पत्नी और बच्चे को देखकर खुशी से फूला नहीं समा रहा था। सभी की आंखों में खुशी के आंसू थे।

थोड़ी देर बाद बुजुर्ग अपने बेटे से बोला, ‘पुत्र मैंने इस लड़की को वचन दिया है कि मैं तुम्हारी शादी इससे कराऊंगा। तुम्हें इसे अपनाना होगा।’ पुत्र झट से पिता की बात मान गया। अब बारी थी दूसरी शर्त की। बुजुर्ग ने लड़की से आग्रह किया, ‘कृपया उसे मृत्युदंड न देना।’ लड़की बोली मैं उसके साथ वही करूंगी जो उसने आपकी दूसरी पत्नी और बेटे के साथ किया। उसने मेरी पहली पत्नी को हिरणी का रूप दे दिया जो आज आप सभी के सामने है। सपरिवार हम हंसी खुशी जी रहे थे। लेकिन कुछ दिनों बाद ऐसी आफत आई कि मेरे पुत्र की वधु काल के गाल में समा गई। मेरा बेटा इस संताप को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था और एक रोज रात के अंधेरे में वह घर छोड़कर चला गया। इस बात का पता लगते ही मैं उसकी खोजबीन में लगा हूं।

बुजुर्ग बोला, ‘तब से मैं और मेरी पत्नी(हिरणी) महीनों से अपने पुत्र की तलाश में भटक रहे हैं। दैत्य महाराज अब आप ही बताइए ये कहानी विचित्र है न?’ दैत्य नि:संकोच बोला ‘ये कहानी निसंदेह ही विचित्र है। अपने वादे अनुसार मैं इस व्यापारी के अपराध का एक तिहाई हिस्सा माफ करता हूं।’ इतने में बगल में बैठ दूसरा बूढ़ा बोला, ‘दैत्य महाराज मैं भी आपको अपनी और अपने दोनों कुत्तों की कहानी सुनाना चाहता हूं लेकिन मेरी भी शर्त यही है कि आपको कहानी विचित्र लगी तो आप व्यापारी का एक तिहाई अपराध माफ कर देंगे। दैत्य बोला, ‘अगर तुम्हारी कहानी पहली कहानी से ज्यादा विचित्र निकली तो मैं जरूर वैसा ही करूंगा जैसा तुम चाहते हो।’

बूढ़े और दोनों कुत्तों की कहानी क्या थी? क्या दैत्य को वो कहानी विचित्र लगी? क्या व्यापारी का अपराध माफ हुआ ये सब जानने के लिए पढ़ें अगला अध्याय…

Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: