13 March 2022

स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानी - सत्य का साथ - Inspirational Story of Swami Vivekananda - Truth Ka Saath

Swami Vivekananda maa ki mahima Story

स्वामी विवेकानंद बचपन से ही बुद्धिमान छात्र थे। उनके तेज दिमाग और प्रभावशाली बातों की वजह से सभी उनकी तरफ खींचे चले जाते थे। एक दिन स्कूल में भी स्वामी विवेकानंद अपने दोस्तों से बातें कर रहे थे। बातों-ही-बातों में स्वामी उन सबको एक कहानी सुनाने लगे। उनके दोस्तों को कहानी अच्छी लग रही थी, इसलिए सभी ध्यान से सुन रहे थे। विवेकानंद कहानी सुनाने में और उनके दोस्त उसे सुनने में इतना खो गए कि किसी को पता ही नहीं चला कि कब मास्टर जी क्लास में आ गए।

मास्टर जी ने क्लास में आते ही बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। आगे बैठे बच्चे उन्हें ध्यान से सुन रहे थे कि कुछ ही देर में मास्टर जी के कानों तक विवेकानंद की हल्की आवाज पहुंची। उन्होंने ऊंची आवाज में पूछा कि कक्षा में कौन बातें कर रहा है? वहां मौजूद अन्य छात्रों ने विवेकानंद और उनके दोस्तों की ओर इशारा कर दिया।

यह जानकर टीचर को गुस्सा आया। उन्होंने उन सभी को अपने पास बुलाया और पूछा कि मैं अभी क्या पढ़ा रहा था? कुछ सेकंड तक किसी से कोई जवाब न मिलने पर उन्होंने हर बच्चे की तरफ देखते हुए सवाल पूछा। सबने अपनी नजरें झुका ली। तभी टीचर विवेकानंद के पास पहुंचे और कहा कि क्या तुम्हें पता है, मैं क्या पढ़ा रहा था? उन्होंने मास्टर को सही जवाब दे दिया।

तब टीचर को लगा कि इन सब बच्चों में से सिर्फ विवेकानंद ही ध्यान से पढ़ रहे थे, दूसरे बच्चे नहीं। यह सोचते ही मास्टर ने स्वामी के अलावा अन्य छात्रों को अपने-अपने बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी। सभी ने टीचर की बात मान ली और बेंच पर खड़े हो गए। कुछ ही देर में स्वामी विवेकानंद भी अपनी सीट में जाकर बेंच पर खड़े हो गए।

स्वामी को बेंच पर खड़ा देखकर मास्टर ने कहा कि मैंने तुम्हें सजा नहीं दी है तुम बैठ जाओ। नजर झुकाते हुए विवेकानंद ने कहा, “सर, मैंने ही इन सभी छात्रों को बातों में लगा रखा था। गलती मेरी ही है।” सजा न मिलने पर भी स्वामी विवेकानंद द्वारा सच बोलने पर सभी छात्र काफी प्रभावित हुए।

कहानी से सीख:

जीवन में हमेशा सच बोलना चाहिए।

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