सालों पहले एक नगर में एक बुद्धिमान राजा राज्य करता था। उनकी बुद्धि और होशियारी की चर्चा दूर-दूर तक थी। राजा कभी भी बिना सोचे-समझे कुछ नहीं कहता और न ही किसी आरोपी की बात सुने बिना उसे सजा सुनाता था। उसकी बुद्धिमत्ता के चर्चे सुनकर आसपास के राजा, रानियां और राजकुमारी आदि उनसे जलते थे।
इसी जलन के चलते सभी उस राजा की बुद्धिमत्ता की परीक्षा लेने के लिए नए-नए तरीके अपनाते थे। हर बार राजा दूसरे राज्य के शासकों द्वारा ली गई परीक्षा में खरा उतर कर खुद को होशियार और योग्य राजा साबित करता था।
एक दिन राजा की परीक्षा लेने के लिए एक राजकुमारी आई। उसके हाथों में दो फूलों की माला थी। दोनों माला में से एक असली फूल से बनी थी और दूसरी नकली से। उन दोनों मालाओं को देखकर उनका ये भेद बिल्कुल पता नहीं चल पाता था। इसी वजह से राजकुमारी ने राजा के सामने दोनों मालाएं रखकर पूछा, ‘हे राजन! अगर आप बुद्धिमान हैं, तो बताइए कि इनमें से कौन-सी माला असली है।
राजदरबार में बैठे सभी दरबारी माला को देखकर हैरान थे, क्योंकि किसी को समझ नहीं आ रहा था कि असली फूलों की माला कौन-सी है। सभी इस सोच में थे कि राजा कैसे बता पाएंगे कि असली फूलों की माला कौन-सी है।
राजा भी माला को देखकर परेशान होने लगे। उसी वक्त उनके दिमाग में कुछ तरकीब आई। उन्होंने तुरंत अपने एक सेवक से कहा, ‘बगीचे की खिड़कियों को खोल दो।’ सेवक ने बगीचे की खिड़की को जैसे ही खोला, तो राजा ने देखा कि फूल में बैठी मधुमक्खियां खिड़कियों से राज दरबार में आ रही हैं। वो कुछ देर मधुमक्खियों को ही देखते रहे। जैसे ही एकात मधुमक्खी एक फूल की माला में बैठी, वैसे ही राजा ने कहा कि अब मैं बता सकता हूं कि असली माला कौन-सी है।
राजा ने तुरंत उस माला की तरफ इशारा किया, जिसपर मधुमक्खी बैठ रखी थी। राजा की होशियारी देखकर दरबार में मौजूद सभी उनकी तारीफ करने लगे। सभी कहने लगे कि हर राज्य को आपके जैसे ही बुद्धमान राजा की जरूरत है।
राजकुमारी भी राजा के बुद्धिमत्ता देखकर खुश हो गई। उसने भी बुद्धिमान राजा की तारीफ में कुछ शब्द कहे और वहां से अपने राज्य की ओर निकल पड़ी।
कहानी से सीख
अगर व्यक्ति अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करे, तो वो हर प्रश्न का सही जवाब तलाश सकता है और हर मुसीबत का हल भी निकाल लेता है।
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