08 March 2022

सच में भूत आया | Sach Main Bhoot Aaya Story In Hindi

Sach Main Bhoot Aaya Story In Hindi

सालों पहले की बात है एक लड़का किसी कंपनी में मैनेजर था। उसके साथ कभी कोई भूत की कुछ डरावनी बातें करता था, तो उसे डर नहीं लगता था। उसका कहना था कि भूत जैसा कुछ होता ही नहीं है। यह सब लोगों के दिमाग का वहम है।

एक दिन ऑफिस में ज्यादा काम था, जिस वजह से वो घर रात को लौट रहा था। बाइक से आराम से रात को घर जाते-जाते अचानक एक सुनसान सड़क पर उसकी गाड़ी खराब हो गई। रात का समय था कोई गाड़ी ठीक करने वाला नहीं मिलेगा सोचते हुए वो अपनी बाइक को खींचते हुए पैदल चलने लगा।

कुछ ही दूर पहुंचा था कि उसे एक बस स्टॉप के पास कोई फकीर बैठा हुआ दिख गया। काफी देर से बाइक खींच रहे लड़के ने भी सोचा थोड़ी देर इधर ही इंतजार कर लेता हूं। वो सीधे फकीर के पास चला गया और बैठकर उससे बातें करने लगा। दोनों के बीच करीब दस मिनट तक बात हुई और उसी वक्त भूतों का जिक्र भी आ गया।

हंसते हुए लड़के ने कहा कि भूत जैसा कुछ नहीं होता है और न ही मैं इन्हें मानता हूं। ये सारी झूठी और वहम वाली बातें हैं।

फकीर ने लड़के की तरफ हैरानी से देखा और बोला, “तुम भूत को नहीं मानते हो, वो एक अलग बात है। अगर तुम ऐसा कहोगे कि भूत होते ही नहीं है, तो यह सरासर गलत है।”

लड़का फिर हंसा और पूछने लगा कि भूत होते हैं, तो दिखते क्यों नहीं हैं? क्या आपने कभी भूत देखा है? क्या आप मुझे दिखाएंगे एक भी भूत?

फकीर के मन में हुआ कि इसे आज भूत दिखा ही देता हूं। उसने लड़के को अपने पीछे चलते रहने के लिए कहा और आगे श्मशान की ओर बढ़ गया।

सुनसान रास्ते में दोनों पैदल चल रहे थे। अब लड़के को थोड़ा डर लगने लगा, लेकिन हिम्मत करते हुए वो आगे बढ़ा। कुछ ही देर में दोनों श्मशान पहुंचे। वहां कई मुर्दा चल रहे थे।

फकीर ने उस लड़के को एक जगह पर बैठाया और कहा कि यहां कुछ देर पहले ही एक लाश जली थी। अब तुम्हें यहां मैं भूत दिखाऊंगा।

फकीर ने फटाफट वहां पर कील गाड़कर एक धागा बांध दिया। अब धागे का आखिरी हिस्सा उस लड़के के हाथ में थमाते हुए कहा, “धागे की सीध में मैंने चार बताशे रखें हैं। इन्हें खाने के लिए चार आत्माएं आएंगी। जबतक आत्मा इन बताशों को पूरा न खा लें, तबतक तुम इस धागे को बिल्कुल भी मत छोड़ना वरना तुम्हारे साथ बहुत बुरा होगा।”

इतना कहकर फकीर ने लड़के को आंखें बंद करने के लिए कहा और खुद मंत्र पढ़ने लगा।

लड़के को फकीर की बातें सुनकर थोड़ा डर लगने लगा, लेकिन वो धागे को तेजी से पकड़कर आंखें बंद करके हुए बैठ गया।

कुछ देर मंत्र पढ़ने के बाद साधु ने उसे आंखों खोलने के लिए आवाज लगाई।

लड़के ने जैसे ही आंखें खोली, तो सामने चार आत्माएं बताशे खा रही थी। उसे इस सब पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। तभी उसकी नजर एक आत्मा पर पड़ी। वो कोई और नहीं उसका पड़ोसी था, जिसकी मौत दो दिन पहले ही हुई थी। उसे देखते ही लड़के के हाथ से वो सफेद धागा छूट गया। उसने घबराहट में आसपास उस फकीर को देखा, लेकिन वो मंत्र पढ़कर जा चुका था।

अब डर के मारे वो तेजी से अपने घर की ओर दौड़ने लगा। इस दौरान उसे कोई बार-बार उसका नाम लेकर पीछे से आवाजें दे रहा था, लेकिन वो मुड़ा नहीं। किसी तरह से वो घर पहुंचा और डरते-डरते ही सुबह हो गई।

सुबह सबसे पहले उसने श्मशान की घटना के बारे में अपने मां-बाप को बताया और सोने के लिए कमरे में चला गया। कुछ देर बाद जब उसकी आंखों खुलीं, तो वो श्मशान में ही था। वो कैसे दोबारा श्मशान घाट पहुंचा किसी को नहीं पता, लेकिन उसी दिन से लड़के की तबीयत दिमागी रूप से खराब रहने लगी।

कहानी से सीख :

इंसान को साहसी होना चाहिए, लेकिन दुस्साहसी होना मुर्खता है।

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