बहुत समय पहले एक जंगल में भालू का परिवार रहता था। उसके परिवार में भालू, उसकी पत्नी और एक बच्चा था। सभी एक साथ खुशहाली से अपना जीवन बीता रहे थे। उनके घर में सबके लिए अलग-अलग पलंग, खाने की चम्मच, प्लेट, कटोरी जैसी सभी सुविधाएं थीं। भालू का घर भी बहुत सुंदर और सजा हुआ था, जिसे देखते ही हर कोई खुश हो जाता था।
एक दिन सुबह-सुबह भालू के मन में नाश्ता करने से पहले सैर करने का ख्याल आया। भालू के पूरे परिवार को यह बात पसंद आई, लेकिन तभी भालू की पत्नी ने बताया कि उसने सबके पीने से लिए दूध गर्म कर दिया है। फिर उसने सोचा कि क्यों न दूध को सबके बर्तन में डालकर घूमने के लिए चला जाए। वापस आते वक्त दूध पीने लायक हो जाएगा। यह सोचते ही भालू की पत्नी ने ऐसा ही किया और तीनों घूमने के लिए बाहर चले गए।
दोनों भालू पति-पत्नी हाथों में हाथ डाले घूम रहे थे और उनका बच्चा भी उनके साथ मस्ती करता हुआ चल रहा था। “कितना सुहाना दिन है”, तीनों ने एक दूसरे से कहा।
सूरज की किरणें पूरे जंगल में पड़ रही थी। सब कुछ सोने की तरह चमक रहा था। ठंडी हवा चल रही थी और आसमान में पंछी चहचहा रहे थे। वो तीनों इस नजारे का आनंद उठाते हुए मजे से घूम ही रहे थे कि तभी एक छोटी-सी तितली भालू के नाक पर आकर बैठ गई।
अपनी नाक से तितली को उड़ाते हुए भालू ने कहा, “इनकी कितनी हल्की और धीमी आवाज होती है। कभी-कभी मुझे यह सोचकर बुरा लगता है कि इनकी आवाज में हमारी तरह दम नहीं है।”
यह सुनते ही भालू की पत्नी ने कहा, “आपकी आवाज बहुत दमदार है। मैं भी सोचती हूं कि काश सभी की आवाज आपकी जैसी होती।” तब भालू हंसते हुए बोला, “हाहाहाहा, मेरी प्यारी पत्नी! तुम बहुत भोली हो। शेर की दहाड़ के आगे मेरी हुंकार कुछ नहीं है।” ऐसी ही प्यारी-प्यारी बातें करते हुए सब घूम कर घर वापस आने लगे।
उसी जंगल में गोल्डीलॉक्स नाम की एक छोटी-सी सुंदर और सुनहरे बाल वाली लड़की रहती थी। वह एक लकड़हारे की बेटी थी। उसे जंगल में मौजूद सभी पेड़ और फूल का नाम पता था। उसे पंछियों से बातें करना और उनकी आवाज सुनना भी बहुत पसंद था। वह रोज अपने पेड़-पौधे और पक्षी से मिलने घने जंगल जाती थी।
रोज की तरह आज भी गोल्डीलॉक्स जंगल गई। तभी उसको वहां भालू का घर दिखा। गोल्डीलॉक्स ने उनके घर के अंदर झांककर देखा। सुंदर-सा घर और बर्तनों में दूध देखकर उसे लगा कि यह किसका घर होगा, जहां दूध पीने वाला कोई नहीं है। यह सोचते ही उसने दरवाजे पर दस्तक दी और पूछा, “घर में कोई है?”
जब घर से कोई आवाज नहीं आई, तो वह घर के अंदर चली गई। सर्दियों का दिन था और गोल्डीलॉक्स बहुत थक भी गई थी। इसी वजह से उसने तीनों बर्तनों में रखा दूध पीने की सोची। उन तीनों बर्तनों में से, भालू के बच्चे के बर्तन का दूध सबसे स्वादिष्ट था। उसमें शक्कर मिली हुई थी और वह एकदम मीठा था।
गोल्डीलॉक्स ने भालू के बच्चे का दूध वाला बर्तन उठाया और वहां रखी छोटी-सी कुर्सी पर बैठ गई और दूध पी लिया। वह कुर्सी भालू के बच्चे की थी, इसलिए गोल्डीलॉक्स का वजन नहीं झेल पाई और टूट गई। इसके बाद वह कुर्सी से उठी और ऊपर वाले कमरे में चली गई। उसने वहां तीन पलंग देखे। तीनों बहुत आरामदायक थे। वह झट से बिस्तर पर लेट गई और उसे नींद आ गई।
तभी सैर करके तीनों भालू घर वापस आए। अपनी टूटी कुर्सी देखकर भालू का बच्चा जोर से चिल्लाया, “कोई मेरा दूध पी गया और मेरी कुर्सी भी तोड़ दी।” इतना कहकर वह जोर-जोर से रोने लगा।
भालू और उसकी पत्नी ने उसे चुप कराया और तीनों ऊपर पहुंचे। वहां भालू के बच्चे ने अपने पलंग पर एक लड़की को सोते हुए देखा। उसे देखकर भालू का बच्चा जोर से चिल्लाया, “इसी ने मेरा दूध पिया होगा।”
गोल्डीलॉक्स को देखकर सभी भालूओं को बहुत गुस्सा आ गया। भालू और उसकी पत्नी ने एक दूसरे से कहा, “चलो इसे खा जाते हैं।” उनकी बात जैसे ही गोल्डीलॉक्स के कान पर पड़ी, तो उसकी नींद खुल गई। अपने सामने तीन भालूओं को देखकर वह डर के मारे खिड़की से कूदकर बाहर भाग गई।
तीनों भालू ने उसका पीछा करने की कोशिश की, लेकिन पिता भालू के हाथ में सिर्फ गोल्डीलॉक्स के सुनहरे बाल आए। तेज भागते हुए, गोल्डीलॉक्स इतनी दूर निकल गई कि भालुओं को दिखाई भी नहीं दी।
कहानी से सीख : किसी की इजाजत के बिना उनके सामान का उपयोग करने का अंजाम अच्छा नहीं होता।
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