घर की मालकिन जुबैदा ने सहारा लेने के लिए आए सभी लोगों के बारे में थोड़ी-थोड़ी जानकारी हासिल करने के बाद ने मजदूर को अपनी कहानी सुनाने के लिए कहा। अपने पीछे एक लंबे-चौड़े आदमी को तलवार लिए खड़ा देखकर मजदूर डरी आवाज में अपनी कहानी सुनाने लगा। उसने कहा कि मैं इस घर में दूसरे लोगों से पहले आया था, लेकिन मेरा इरादा बिल्कुल भी गलत नहीं है। मैं बस हर रोज की तरह सुबह-सुबह काम की तलाश में बाजार के लिए घर से अपनी टोकरी लेकर निकला था।
बाजार पहुंचने के बाद अपना खर्च निकालने के लिए मैं इधर-उधर काम ढूंढने लगा। तभी वहां आपकी बहन अमीना मुझे दिखीं। जैसे ही मैंने उनकी तरफ देखा उन्होंने मुझे इशारे से बुलाया। मैं भी काम की उम्मीद में उनके पास चला गया। फिर अमीना ने मुझे कुछ सामान दिया और अपने साथ चलने के लिए कहा। वो मुझे सबसे पहले एक जूस बेचने वाले के पास लेकर गईं। उससे उन्होंने काफी देर तक बातें की और मैं बाहर खड़ा उनका इंतजार करता रहा।
कुछ देर बाद अमीना ने जूस बेचने वाले से काफी सारा जूस खरीदा और मुझे उसे उठाने को कहा। उस जूस को जैसे ही मैंने उठाया उन्होंने मुझे आगे चलने को कहा। फिर अमीना मुझे सब्जी बेचने वाले के पास ले गईं। उससे अमीना ने काफी देर तक सब्जियों का दाम ठीक लगाने को कहा और फिर वहां से खूब सारी सब्जियां खरीद लीं। उन सब्जियों को भी मैंने कंधे पर उठा लिया। उसके बाद अमीना मुझे वहां से फल बेचने वाले के पास ले गईं। उससे भी कई सारे फल खरीदे और मैंने उन्हें भी उठा लिया।
फिर सारा खरीदा हुआ सामान लेकर अमीना मुझे मांस बेचने वाले के पास लेकर गईं। उससे भी खरीदारी करके अमीना ने कहा कि ये सब कुछ तुम्हें मेरे घर लेकर चलना है। जैसा उन्होंने कहा मैंने भी ठीक वैसा ही किया और उनके पीछे-पीछे सारा सामान कुछ कंधे पर और कुछ सिर पर लादकर आपके घर आ गया।
आगे मजदूर ने रोते हुए कहा कि बस मेरी इतनी ही कहानी है कि मैं रोज सुबह घर से चार पैसे कमाने के लिए निकलता हूं और जो भी काम मिलता है उसे बिना किसी सवाल के कर लेता हूं। ठीक वैसा ही मैंने आज भी किया था। बस आज के दिन मुझे आपकी बहन ने काम दिया और उनका कहा सारा काम मैंने किया। इसके बदले में मुझे यहां कुछ देर रहने को कहा गया और सभी ने सम्मान व आदर दिया। मुझ गरीब को इससे ज्यादा क्या चाहिए।
आप लोगों का दिल इतना बड़ा है कि मुझे आपने भरपेट खाने को भी दिया, लेकिन मुझसे क्या गलती हुई मुझे समझ नहीं आ रहा है। आपने मेरे सिर को काटने का आदेश क्यों दिया है? अगर कोई गलती हुई है, तो मुझे माफ कर दीजिए। मैं आपका दिल नहीं दुखाना चाहता था, मेरे सिर के ऊपर से तलवार हटवा दीजिए।
मजदूर की बातें सुनकर जुबैदा बोली मुझे तुम्हारी बातों में सच्चाई नजर आ रही है। अब तुम यहां से चुपचाप चले जाओ और दोबारा लौटकर मेरे सामने मत आना। जुबैदा की यह बात सुनकर मजदूर के ऊपर तलवार लिए खड़ा व्यक्ति हट गया। यह सब देखकर मजदूर खुश हुआ, क्योंकि उसकी जान बच गई थी।
उसके बाद मजदूर जुबैदा से कहने लगा कि वो कुछ देर और वहां रुकना चाहता है, ताकि वो फकीरों की भी कहानी सुन सके। मजदूर को जुबैदा ने किनारे में चुपचाप खड़े होने का इशारा किया। उसके बाद जुबैदा ने ‘पहले फकीर’ को कहानी सुनाने को कहा। पहले फकीर की क्या कहानी है जानने के लिए अगली स्टोरी पढ़ें।
0 Comments: