कमर से ऊपर इंसानी शरीर और उसके नीचे काले पत्थर में तब्दील हो चुके नौजवान ने बादशाह को अपनी कहानी सुनाते हुए बताया कि वह बादशाह महमूद शाह का बेटा है, जिनका राज काले द्वीपों के नाम से मशहूर चार विशाल पर्वतों तक फैला हुआ था। नौजवान ने बताया कि जिस जगह रंग-बिरंगी मछलियों वाला तालाब है, वहां हमारे राज्य की राजधानी हुआ करती थी।
नौजवान ने बादशाह को बताया कि 70 साल की आयु में पिता का देहांत होने के बाद सर्वसम्मति से उसे राजगद्दी सौंपी गई। इसके बाद नौजवान ने अपनी पसंद से चाचा की बेटी से निकाह कर लिया। नौजवान ने कहा, “हम दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते थे और खुशी जीवन व्यतीत करने लगे।”
नौजवान ने बताया, “करीब 5 साल तक मैं और मेरी पत्नी सुखी रहे, जिसके बाद मुझे एहसास होने लगा कि मेरी पत्नी का हृदय परिवर्तन हो गया है और अब न तो वह मुझे पहले जैसा प्यार करती थी और न बर्ताव।” नौजवान ने आगे कहा, “एक दिन मेरी पत्नी नहाने के लिए गई हुई थी और मैं अपने कमरे में लेटा हुआ आराम कर रहा था। उस दौरान मुझे सोया जानकर कमरे में पंखा झल रही 2 दासियां धीमे स्वर में आपस में बातें करने लगीं। मैं सोया नहीं था, लेकिन फिर भी मैं जानबूझ कर आंखे मूंदे रहा और उनकी बातें सुनने लगा। उनमें से एक दासी कहने लगी कि रानी कठोर दिल की और कुटिल है, जो राजा से बिल्कुल प्रेम नहीं करती। दूसरी दासी भी उसकी बातों पर हामी भरते हुए बोलने लगी कि रानी हर रात राजा को दूध में नशीला पदार्थ पिला देती है। राजा के बेहोश होने पर वह न जाने किससे मिलने महल से निकल जाती है। रानी रात भर बाहर रहने के बाद सुबह लौटती है और राजा को कुछ सुंघाकर जगाती है।”
नौजवान ने बादशाह से कहा, “दासियों की बातें सुनकर मुझे बहुत क्रोध आया, लेकिन मैं फिर भी लज्जा और लिहाज के कारण लेटा रहा। इतने में रानी भी नहा कर लौट आई और उसे देखकर दोनों दासियां चुप हो गईं।” नौजवान ने कहा, “पूरी शाम मैं व्याकुल रहा और रात को खाने के बाद जब रानी कमरे में दूध लेकर आई, तो मैंने दूध पीने का नाटक करते हुए रानी से छिपकर दूध बाहर फेंक दिया और खाली गिलास रानी के सामने रख कर सोने का नाटक करने लगा। देर रात जब रानी को विश्वास हो गया कि मैं सो रहा हूं, तो वह बिस्तर से उठकर पहले तैयार हुई और फिर बाहर जाने लगी।”
नौजवान ने आगे कहा, “रानी को बाहर जाता देख मुझे बहुत क्रोध आया और मैं भी अपनी तलवार लेकर रानी से नजरें बचाकर उसके पीछे-पीछे चल पड़ा। रानी हर दरवाजे को मंत्रों से खोलती चली गई और ये देखकर मैं हैरान हो गया। रानी महल से निकलकर बाग में पहुंची और वहां से जंगल की ओर चली गई।” नौजवान ने बादशाह को बताया, “जब मैं रानी के पीछे-पीछे जंगल पहुंचा, तो देखा कि रानी एक बड़े से हृष्ट-पुष्ट बलवान की बाहों में बाहें डाले टहल रही है। मैं झाड़ियों में छिपकर दोनों की बातें सुनने लगा।”
नौजवान ने बताया, “उस घने जंगल में रानी अपने प्रेमी बलवान से कह रही थी कि वह अपने जादू से पूरे राज्य को तबाह कर सकती है और वह उसके साथ अपना जीवन व्यतीत करने के लिए व्याकुल है। यह सुनकर मेरा क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया। जब दोनों टहलते हुए झाड़ियों के पास पहुंचे, तो मैंने बाहर निकलकर उस बलवान के गले पर जोर से वार किया और उसे मरा जानकर वहां से चला आया। मैंने रानी को नहीं मारा, क्योंकि मैं तब भी उसे प्रेम करता था और वह मेरी पत्नी होने के साथ ही चाचा की बेटी भी थी।”
“जब मैं महल लौटने लगा, तो मैं रानी को जोर-जोर से विलाप करते हुए सुन पा रहा था। रानी ने अपने जादुई शक्तियों से अपने प्रेमी बलवान को ठीक करने का प्रयास किया, लेकिन वह बस उसे जीवित रखने में ही सफल हो पाई। मैं वापस आकर अपने कमरे में सो गया और अगली सुबह रानी को अपने साथ ही सोता पाया। मैं रानी को कमरे में सोता छोड़कर अपने रोज के कामों को पूरा करने में लग गया। शाम को महल में वापस लौटने पर मैंने देखा कि रानी काले कपड़े पहने हुए है और मातम मना रही है। मेरे कारण पूछने पर रानी ने बताया कि आज उसके पिता को युद्ध में शहादत प्राप्त हुई और उसकी माता का निधन हो गया। वहीं, उसके भाई की भी गिरने के कारण मौत हो गई। इसके बाद वह अपने कक्ष में चली गई और पूरी रात रोते हुए विलाप करती रही।”
नौजवान ने बादशाह को बताया, “मैं रानी के शोक का कारण भली-भांति जानता था इसलिए मैंने उसे समझाने का प्रयास नहीं किया, लेकिन रानी को इसी प्रकार दुख मनाते हुए एक साल बीत गए। एक दिन रानी ने मुझसे गुंबदनुमा मकबरा बनवाने के लिए कहा, जिसका नाम शोकागार रखा गया। गुंबद बनने के बाद से रानी वहीं रहने लगी और उसने अपने प्रेमी को भी मकबरे में ही रखवा लिया और रोज उसे औषधियों व मंत्रों से ठीक करने के प्रयास में लगी रहती। मेरे तलवार से वह बलवान न चलने लायक था न बोलने लायक। वह बस रानी के जादू से जीवित मात्र था।”
“एक दिन मैं उत्सुकतावश मकबरे के अंदर गया और छिपकर रानी की बातें सुनने लगा। रानी अपने प्रेमी के सामने बैठकर उससे घंटों बातें करती रही और उसे ठीक करने का प्रयास करती रही। मुझसे उसकी ऐसी स्थिति देखी न गई और मैं वहां से बाहर आ गया। इसके बाद रानी के मकबरे से बाहर आने के बाद मैंने रानी से शोक संताप खत्म कर रानी की तरह जीवन व्यतीत करने के लिए कहा। मेरे समझाने पर रानी और जोरों से विलाप करने लगी और उसे उसी हाल में रहने देने की विनती करने लगी। इसी तरह रानी को गुंबद में अपने प्रेमी को ठीक करने का प्रयास कर शोक मनाते हुए दो साल और बीत गए।”
नौजवान ने आगे कहा, “तीसरे साल एक बार फिर जब मैं गुंबद के अंदर रानी को देखने पहुंचा, तो वह उस समय भी अपने प्रेमी के मृत समान शरीर के सामने विलाप करते हुए उससे ठीक होने की गुजारिश कर रही थी। यह देखकर मुझे बहुत क्रोध आया और मैं गुंबद से बाहर आकर जोर-जोर से रानी और उसके प्रेमी को कोसने लगा। मेरी बातें सुनकर रानी भी गुस्से में गुंबद से बाहर निकली और मुझे इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराकर कहने लगी कि मेरे ही कारण वह इतने साल से दुख भोग रही है। रानी की बातें सुनकर मुझे और क्रोध आ गया और मैंने गुस्से में रानी को मारने के लिए तलवार निकाली, लेकिन उसके मंत्रों के कारण मैं अपना हाथ तक नहीं हिला पाया।”
“मुझे मंत्रों में जकड़कर रानी ने अपने जादू से मेरे कमर से नीचे का हिस्सा काले पत्थर का बना दिया जिसके बाद से मैं न तो जिंदा हूं और न ही मृत। रानी ने मुझे उठवाकर यहां लाकर रखवा दिया और मेरे नगर को तालाब में तब्दील कर दिया। रानी ने जादू से मेरे सभी दरबारियों व मित्रों को मछली बना दिया। तालाब में दिखने वाली रंगबिरंगी मछलियों में से सफेद मछलियां मुसलमान, लाल मछलियां अग्नि की उपासक, काली मछलियां ईसाई और पीली मछलियां यहूदी हैं।”
“मेरे राज में शामिल 4 विशाल पहाड़ियों को रानी ने तालाब के चारों ओर चट्टानों के रूप में स्थापित कर दिया। इतना करने पर भी रानी का गुस्सा कम नहीं हुआ और वह रोज मुझे अपमानित करने और पीड़ा पहुंचाने के लिए 100 कोड़े मारने आती है व जख्मों पर खुरदरा कंबल डाल जाती है।”
बादशाह को अपनी कहानी सुनाने के बाद काले द्वीपों के राजा उस नौजवान ने ईश्वर को याद करते हुए कहा कि अगर यही तेरी इच्छा है और इसी में तेरी खुशी है, तो मैं हर दर्द हंसकर सहने को तैयार हूं। मुझे उम्मीद है कि तू मुझे इस दुख व दर्द से कभी न कभी तो उबारेगा।
नौजवान की कहानी सुनने के बाद वहां आए बादशाह को उस पर दया आई और उस निष्ठुर रानी पर क्रोध। नौजवान राजा को इंसाफ दिलाने के लिए उस बादशाह ने रानी को सबक सिखाने की ठान ली। नौजवान से जानकारी लेकर बादशाह शोकागार गुंबद में पहुंचा। गुंबद भीतर से बहुत सजा हुआ था और चारों ओर दीये ही दीये जगमगा रहे थे। बादशाह ने सबसे पहले गुंबद के अंदर अधमरी हालत में पड़े रानी के प्रेमी को मौत के घाट उतारकर उसके स्थान पर स्वयं उसके कपड़े पहनकर बैठ गया और रानी को मारने के लिए उसका इंतजार करने लगा।
कुछ समय बाद रानी रोजाना की तरह अपने तय समय पर महल में आई और नौजवान राजा पर 100 कोड़े बरसाने के बाद गुंबद में पहुंची। बादशाह को अपना प्रेमी समझकर रानी उसके सामने बैठ गई और विलाप करने लगी कि वह कब उससे बात करेगा, जिससे उसके बेचैन मन को चैन मिलेगा। रानी के विलाप को सुनते हुए बादशाह ऊंची आवाज में ईश्वर को याद करते हुए बोल पड़ा, “परमात्मा सर्वशक्तिमान है और उसके अलावा न कोई ताकतवर है न ही डरने के लायक।”
बादशाह ने घृणित स्वर में रानी से कहा, “मैं जानबूझकर तुमसे बात नहीं करना चाहता। तुम्हारी क्रूरता के कारण मैं चैन से सो तक नहीं पाता। वह नौजवान राजा दिन-रात दर्द से कराहता रहता है, जिसकी आवाज मेरे कानों में गूंजती रहती है।” इस पर रानी तुरंत बोल पड़ी, “अगर तुम चाहते हो कि मैं उसे मारना बंद कर दूं, तो मैं अब से उस पर हाथ नहीं उठाउंगी। तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है।” इसके बाद रानी नौजवान राजा को अपनी मंत्रों की शक्ति से पहले की तरह बना दिया और राज्य से दूर जाने के लिए कहकर तुरंत शोकागार में पहुंची।
बादशाह को प्रेमी जानकार रानी उससे कहने लगी कि जो वो कहेगा वह करने को तैयार है, बस वह (प्रेमी) उससे नाराज न हो। इसके बाद बादशाह के कहने पर रानी ने तालाब को दोबारा राज्य में बदल दिया और मछली रूपी दरबारियों व राज्य के लोगों को फिर से इंसान बना दिया। रानी के जादू हटाते ही राज्य एक बार फिर लोगों से भरा-पूरा लगने लगा।
अपने प्रेमी के ठीक होने की खुशी में रानी समझ ही नहीं पाई कि वह उसका प्रेमी नहीं, बल्कि उसके भेष में बादशाह है। पूरे नगर को फिर से आबाद करने के बाद रानी दोबारा गुंबद के अंदर अपने प्रेमी के पास पहुंची। प्रेमी बने बादशाह ने नगर को देखने की इच्छा जताते हुए रानी को उसे उठने में मदद करने के लिए करीब बुलाया। रानी के बिल्कुल करीब पहुंचते ही बादशाह ने एकदम से तलवार निकाली और रानी का सिर धड़ से अलग कर दिया। रानी और उसके प्रेमी को मौत के घाट उतारने के बाद राजा गुंबद से बाहर निकला और सीधा काले द्वीपों के राजा उस नौजवान के पास पहुंचा।
अपने महल में बादशाह का इंतजार कर रहे नौजवान राजा ने बादशाह का आभार जताया। नौजवान व नगर को सही सलामत देखकर बादशाह ने वहां से जाने की इच्छा जताई, तो नौजवान ने उसे बताया कि उसका राज्य यहां से करीब एक वर्ष की दूरी पर है। रानी ने अपने जादू से उसके राज्य और बादशाह के राज्य को एक-दूसरे की करीब कर दिया था। बादशाह ने नौजवान से कहा, “दोनों देशों के बीच दूरी बहुत है, फिर भी मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ मेरे राज्य चलो। मेरा कोई पुत्र नहीं है और मेरी इच्छा है कि मैं तुम्हें अपने देश का युवराज बनाऊं, ताकि मेरे मरने के बाद तुम अगले बादशाह बनो और मेरे राज्य को भी संभालो।”
बादशाह की इच्छा व निमंत्रण को स्वीकार करते हुए चार द्वीपों का राजा नौजवान उसके राज्य जाने के लिए राजी हो गया। नौजवान और बादशाह ने करीब 3 सप्ताह तक उस राज्य में समय बिताया। नौजवान ने करीब 100 ऊंटों पर कीमती सामान और हीरे-मोती आदि लदवाए और बादशाह के साथ उनके राज्य जाने के लिए निकल पड़ा। बादशाह के नगर पहुंचने पर दोनों का बहुत सत्कार हुआ। कुछ समय बाद बादशाह ने काले द्वीपों के राजा नौजवान को अपना युवराज बनाने की घोषणा की।
इसके बाद दोनों ने मछुवारे को बुलवाया और उसे बहुत सारा धन दिया, क्योंकि उसी के कारण नौजवान को कष्ट से मुक्ति मिली थी।
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