नाई ने खलीफा हारूं रशीद को अपने सबसे बड़े भाई की कहानी सुनाते हुए बताया कि मेरे सबसे बड़े भाई का नाम बकबक था और वह कुबड़ा था। मेरे भाई ने एक बड़े दर्जी से कपड़े सिलने का काम सीखा और जब वह खुद भी यह काम सीख गया, तो उसने नगर में एक दुकान किराए पर लेकर वहां दर्जी का काम शुरू कर दिया। नई दुकान होने के कारण उसकी आमदनी खास न होती। दिनभर कपड़े सिल कर कमाए पैसे से वह बस दो वक्त का खाना ही जुटा पाता।
बकबक की दुकान के ठीक सामने एक आटा चक्की की दुकान थी, जो खूब चलती थी और उसका मालिक भी काफी धनवान था। चक्की के मालिक का घर उसकी दुकान के बिल्कुल बगल में ही था। एक दिन जब बकबक खाली समय में अपनी दुकान के बाहर बैठा हुआ था, तो उसकी नजर चक्कीवाले के घर की छत पर खड़ी एक महिला पर पड़ी, जो बाजार से गुजर रहे लोगों को देख रही थी।
नाई ने आगे कहा कि वह महिला चक्कीवाले की पत्नी थी, जो बेहद सुंदर थी और उसे देखकर मेरा बड़ा भाई पहली नजर में अपना दिल हार बैठा और काफी देर तक उसे एक टक देखता रहा। जब उस महिला ने बकबक को उसे घूरता पाया, तो असहज हो गई और तुरंत मकान की छत से अंदर चली गई। उसके बाद अगले दिन वह महिला छत पर नहीं दिखी, लेकिन तीसरे दिन वह फिर से छत पर टहलने को निकली, तो उसने दोबारा बकबक को उसे घूरता पाया। महिला एक पतिव्रता स्त्री थी और तब तक वह समझ चुकी थी कि बकबक उसे बुरी नजरों से देखता है। इसलिए, महिला ने बकबक को सबक सिखाने की योजना बनाई और उसकी ओर देखते हुए मुस्कुरा दी। महिला को मुस्कुराता देखकर बकबक फुला नहीं समाया और उसे लगा कि वह महिला भी उसे चाहती है।
महिला ने बकबक को दंडित करने के लिए अपनी सेविका के साथ मिलकर योजना बनाई। महिला ने एक कीमती कपड़ा देकर सेविका को बकबक की दुकान में भेजा और उसे तुरंत सुंदर-सा परिधान बनाने के लिए कहा। बकबक को लगा कि महिला ने प्रेमवश कीमती कपड़ा संदेश के रूप में भेजा है और वह जी जान से परिधान बनाने में लग गया। बकबक ने शाम तक परिधान तैयार कर उसे सेविका के हाथों भिजवा दिया। अगले दिन दोबारा महंगा कपड़ा लेकर महिला की सेविका बकबक की दुकान में पहुंची। इस बार सेविका ने बकबक से कहा कि उसकी मालकिन ने संदेश दिया है कि उनकी रातें तुम्हें याद कर जागते हुए कटती हैं और क्या आपको भी उनकी याद सताती है? संदेश सुनकर बकबक बहुत खुश हुआ और उसने सेविका से कहा कि वह अपनी मालकिन से कहे कि वह भी उसे दिन-रात याद करता है।
नाई ने आगे कहा कि महिला ने बकबक से परिधान तो सिलवा लिए, लेकिन उसका मेहनताना नहीं दिया। ऐसे में बकबक को दो दिन तक भूखा ही सोना पड़ा। यह सिलसिला जब अगले कुछ और दिनों तक जारी रहा, तो बकबक ने पेट भरने के लिए अपने मित्रों और जानकारों से उधार लेना शुरू कर दिया। बकबक को लगाता था कि पैसे मांगने पर कहीं महिला उससे नाराज न हो जाए।
एक दिन महिला की सेविका सुबह-सुबह ही बकबक की दुकान में पहुंची और उससे कहा कि चक्की के मालिक यानी महिला के पति उससे मिलना चाहते हैं। सेविका ने कहा कि महिला ने अपने पति से उसके काम के बारे में बहुत तारीफ की है, इसलिए वह उससे मिलना चाहते हैं। बकबक की झिझक को देखते हुए सेविका ने कहा कि मालकिन चाहती हैं कि आप इसी बहाने उनके घर आएं ताकि मौका पाकर वह आपसे मिल सकें। यह सुनकर बकबक महिला के घर जाने के लिए तुरंत तैयार हो गया और सेविका के पीछे-पीछे चक्कीवाले के घर की ओर चल पड़ा।
नाई ने आगे बताया कि मेरा भाई बकबक जब चक्कीवाले के घर पहुंचा, तो अंदर से उनका आलीशान घर देखकर भौचक रह गया। फिर सेविका उसे एक बड़े से आंगन में ले गई, जहां चक्की का मालिक बड़ी-सी गद्दी पर बैठा हुआ था। चक्कीवाले ने बकबक के काम की खूब सराहना की और फिर उसे एक थान रेशमी कपड़ा देकर कहा कि इससे वह उसके लिए कुछ वस्त्र बना दे। बकबक वह कपड़ा लेकर अपनी दुकान में लौट आया और एक सप्ताह के भीतर ही रेशमी कपड़े के वस्त्र तैयार कर दिए।
बकबक जब वह वस्त्र लेकर चक्कीवाले के पास पहुंचा, तो वह उसके हाथों की सफाई और सही नाप पाकर बेहद खुश हुआ और उसे 1-2 थान कपड़े और दे दिए। चक्कीवाले ने जब बकबक को सिलाई के पैसे देने चाहे, तो उस महिला की सेविका छिपकर बकबक को मेहनताना न लेने का इशारा करने लगी और बकबक बिना पैसे लिए ही कपड़े लेकर वापस लौट गया।
इस दौरान बकबक उधार लेकर ही अपना जीवनयापन कर रहा था, लेकिन अब उसे लोगों ने उधार देना बंद कर दिया था और जिन्होंने पहले उधार दिए थे, वो अपने पैसे वापस मांगने लगे। नाई ने खलीफा को बताया कि एक बार बकबक उसके पास भी आया था, लेकिन वह खुद तंगी का जीवन जी रहा था, तो वह उसकी ज्यादा सहायता नहीं कर पाया और बकबक ऐसे ही भूखे रहकर चक्की मालिक के कपड़े सिलने लगा।
बकबक ने चक्की मालिक के कपड़े पूरी मेहनत से सिले और कुछ दिन बाद दोबारा चक्कीवाले के घर पहुंचा। इस बार महिला की सेविका ने दरवाजा खोलते ही धीरे से बकबक के कानों में कहा कि अगर वह मेहनताना लेगा, तो मालकिन उससे नाराज हो जाएंगी। सेविका की बात सुनकर बकबक ने चक्की के मालिक द्वारा सिलाई के उचित पैसे देने की पेशकश करने के बावजूद पैसे नहीं लिए। यह देखकर चक्कीवाला भी हैरान हो गया कि आखिर इतनी मेहनत करने पर भी कुबड़ा बकबक मेहनताना क्यों नहीं ले रहा?
चक्कीवाले के पूछने पर उसकी पत्नी ने उसे पूरी बात बताई कि बकबक दर्जी उस पर बुरी नजर रखता है और उसे सबक सिखाने के लिए ही वह बिना मेहनताना दिए उससे काम करवा रही है। पत्नी की बात सुनकर चक्कीवाले को बकबक पर बहुत गुस्सा आया और उसने बकबक को अच्छे से सबक सिखाने की योजना बनाई।
नाई ने बताया कि अपनी पत्नी के साथ योजना बनाकर एक दिन चक्कीवाले ने मेरे भाई बकबक को शाम को खाने पर घर बुलाया। बकबक को खाना खिलाने के बाद चक्कीवाले ने उससे कहा कि वह आज की रात वहीं उनके घर में रुक जाए। बकबक ने चक्कीवाले का प्रस्ताव यह सोचकर स्वीकार कर लिया कि इसी बहाने रात को वह महिला से मिल भी लेगा। काफी देर तक चक्कीवाले से बातें करने के बाद चक्कीवाले ने बकबक को एक कमरे में सुला दिया।
देर रात को जब बकबक गहरी नींद में सोया हुआ था, तो चक्की का मालिक उसे उठाने आया और कहने लगा कि चक्की को चलाने वाले खच्चर बीमार पड़ गए हैं और अगर चक्की नहीं चली, तो उसे भारी नुकसान होगा। चक्कीवाले ने योजना के अनुसार बकबक से कहा कि वह खच्चर की जगह चक्की से बंध जाए। चक्की के मालिक की बात सुनकर बकबक पहले तो आनाकानी करने लगा, लेकिन जब उसकी एक न चली तो वह खच्चर के स्थान पर चक्की से बंधने को तैयार हो गया।
नाई ने बताया कि इस तरह बकबक को बातों में बहलाकर चक्कीवाले ने उसे चक्की से बांध दिया और वह धीरे-धीरे खच्चर की तरह चक्कर काटने लगा। कुछ चक्कर लगाने के बाद जब वह थक गया, तो चक्कीवाले ने बकबक की पीठ पर जोर का चाबुक मारा। चाबुक पड़ते ही बकबक दर्द से कराह उठा, तो चक्कीवाले ने कहा कि वह खच्चरों से ऐसे ही काम लेता है। इसके बाद जब भी बकबक चक्की चलाते हुए रुक जाता चक्कीवाला उसकी पीठ पर चाबुक बरसा देता और गालियां देने लगता।
बकबक पूरी रात चाबुक की मार सहते हुए चक्की के चक्कर काटता रहा। सुबह होने तक बकबक खून से लथपथ हो चुका था और बस बिना होश हवास के चला जा रहा था। चक्कीवाला जब अपनी पत्नी को बकबक की दुर्दशा का दिखाने के लिए उसे बुलाने गया, तो महिला की सेविका ने पीछे से आकर बकबक को खोल दिया और उसे भविष्य में ऐसी भूल दोबारा न करने की सलाह देकर वहां से भाग जाने को कहा। इसके बाद बकबक जैसे तैसे उस घर से निकला और उसने कभी दोबारा उस गली में कदम नहीं रखा। इस घटना के बाद से बकबक के सिर से प्यार का भूत भी उतर गया।
नाई के बड़े भाई की कहानी खलीफा को बड़ी मजेदार लगी और उसने अपने सेवकों से कहा कि वह नाई को उचित इनाम देकर विदा करे। नाई ने खलीफा से कहा कि वह आज तो विदा ले रहा है, लेकिन वह अपने अन्य पांच भाइयों की कहानी सुनाने जरूर आएगा।
नाई ने खलीफा को अपने दूसरे भाई बकबारह की क्या कहानी सुनाई, जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग ‘नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी।’
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