05 March 2022

अलिफ लैला नाई के दूसरे भाई की कहानी - tory of Alif Laila Barber's second brother

Alif Laila- Nayi Ke Bhai Bakbarah Ki Kahani

पहले भाई की कहानी सुनाने के बाद नाई ने अगले दिन खलीफा के सामने अपने दूसरे भाई की कहानी सुनाई। नाई ने कहा कि मेरे दूसरे भाई का नाम बकबारह था और वो पोपला था। एक दिन बकबारह से एक बुढ़िया ने कहा कि मैं तुम्हारे लाभ की बात कहना चाहती हूं। एक बड़े घर की स्त्री तुम्हें पसंद करने लगी है। मैं तुम्हें उसके घर ले जा सकती हूं। वो स्त्री चाहे, तो तुम्हें माला-माल कर सकती है। बुढ़िया की बात सुनकर मेरा भाई बहुत खुश हुआ और उसे कुछ पैसे दिए।

पैसे लेने के बाद उस बुढ़िया ने मेरे भाई बकबारह को एक चेतावनी भी दी। उसने कहा कि उस सुंदरी की उम्र कम है और उसका बचपना अभी गया नहीं है। वह अपनी सहेलियों और रिश्तेदारों से खूब मजाक करती है। अगर कोई उसके मजाक का बुरा मानता है, तो वह हमेशा के लिए उस व्यक्ति से रूठ जाती है और फिर दोबारा उसका मुंह नहीं देखती है। इसलिए, वह, उसकी सहेलियां और उसकी दासियां तुमसे कितना भी मजाक करें, तुम बिल्कुल भी बुरा मत मानना। मेरे भाई बकबारह ने बुढ़िया की यह बात मान ली।

फिर एक दिन बुढ़िया मेरे भाई बकबारह को वहां लेकर गई। बकबारह उस लड़की के विशाल घर को देखकर चौंक गया। मेरे भाई के साथ वह बुढ़िया थी, इसलिए द्वारपालों ने मेरे भाई को अंदर जाने से नहीं रोका। बुढ़िया ने एक और बार मेरे भाई से कहा कि कोई कितना भी हंसी-मजाक करे, तुम बुरा मत मानना। फिर बुढ़िया ने मेरे भाई को एक स्थान पर बैठाया और उसके आने की सूचना देने के लिए उस सुंदरी के पास चली गई। थोड़ी देर बाद मेरे भाई को कई स्त्रियों के आने की आहट हुई। मेरा भाई चुपचाप बैठा रहा। वे सभी दासियां लग रही थीं। मेरे भाई को देखकर वे सभी हंसने लगी। लेकिन, उन दासियों के बीच एक बेहद खूबसूरत स्त्री थी, जिसने खूबसूरत कपड़े और मूल्यवान जेवर पहन रखे थे। मेरा भाई समझ गया कि यह जरूर वही स्त्री है।

मेरा भाई बकबारह एक साथ इतनी स्त्रियों के आने से घबरा सा गया। उसने खड़े होकर और सिर झुकाकर सलाम किया। उस सुंदर स्त्री ने मेरे भाई को बैठने को कहा और मुस्कुराते हुए कहा कि हमें तुम्हारे यहां आने से बहुत खुशी हुई। तुम बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है? इस पर बकबारह ने कहा कि मैं केवल आपकी सेवा में रहना चाहता हूं। इस पर उस सुंदर स्त्री ने कहा कि मैं भी चाहती हूं कि हम लोग भी चार घड़ी हंस-बोलकर बिताएं। फिर उसने अपनी दासियों से बकबारह के लिए भोजन लाने को कहा। दासियां भोजना ले आईं और मेरे भाई बकबारह को उस सुंदर स्त्री के सामने ही बैठाया। मेरे भाई ने जैसे ही खाने के लिए मुंह खोला, तो उस सुंदरी ने देखा कि उसके मुंह में एक भी दांत नहीं है। उसने इशारे से यह अपनी सेविकाओं को भी दिखाया और वे भी जोर-जोर से हंसने लगी।

मेरे भाई को लगा कि वे सभी उसके साथ होने से खुश हैं, इसलिए वह भी हंसने लगा। फिर उस सुंदरी ने उन दासियों को वहां से हट जाने का आदेश दिया और उनके जाने के बाद अपने हाथ से बकबारह को खाना खिलाने लगी। खाने के बाद उस सुंदरी की सेविकाएं आईं और नाचने-गाने लगीं। मेरा भाई भी प्रसन्न होकर उनके साथ नाचने लगा। केवल वह सुंदरी ही शांत बैठी रही। नाच-गाना खत्म होने के बाद सभी दासियां आराम करने लगीं। फिर उस सुंदरी ने मेरे भाई को एक गिलास शराब दी और एक गिलास उसने खुद पी। मेरा भाई बहुत खुश हुआ। फिर वो स्त्री मेरे भाई के पास बैठ गई और मेरे भाई के गालों पर धीरे-धीरे थप्पड़ मारने लगी। पर मेरा भाई खुद को संसार का सबसे भाग्यशाली इंसान समझ रहा था कि इतनी सुंदर और धनी स्त्री उसे इतना सम्मान दे रही थी। लेकिन, अचानक ही उस सुंदरी ने बकबारह को जोर-जोर से थप्पड़ मारना शुरू कर दिया, इससे मेरा भाई बिदककर उस सुंदरी से दूर जा बैठा।

कुछ दूर पर मौजूद बुढ़िया इशारे में मेरे भाई से कहने लगी कि तुम यह ठीक नहीं कर रहे हो। बुढ़िया के इशारे को देखकर मेरा मूर्ख भाई फिर से उस सुंदरी के पास जाकर बैठ गया और उससे कहा कि मैं नाराज होकर दूर नहीं गया था। फिर उस सुंदरी ने दासियों को इशारा कर दिया और सभी दासियां मेरे भाई को परेशान करने लगीं। उन सेविकाओं में से कोई उसकी नाक पकड़कर खींचती, तो कोई उसके सिर पर मारती। इस बीच मौका पाकर मेरे भाई बकबारह ने बुढ़िया से कहा कि तुमने ठीक ही कहा था कि ऐसे अजीब स्वभाव वाली स्त्री संसार में दूसरी न होगी, पर तुम भी देखो कि मैं इन लोगों को खुश करने के लिए हर तरह के दुख सहने को तैयार हूं। बुढ़िया ने कहा कि आगे-आगे देखते जाओ क्या-क्या होता है।

फिर उस सुंदरी ने मेरे भाई बकबारह से कहा कि तुम तो बहुत बिगड़े हुए जान पड़ते हो, हमारी थोड़ी सी हंसी-मजाक से ही तुम बुरा मान जाते हो। हम तो तुम से खुश हैं और चाहते हैं कि तुम पर कुछ मेहरबानियां करें, पर तुम्हारे मिजाज का ही पता नहीं चलता। इस पर मेरे भाई ने कहा, ऐसा बिल्कुल नहीं है। मैं आपकी खुशी के लिए ही यहां आया हूं। आप जो चाहेंगी मैं करूंगा। जब उस सुंदर स्त्री को लगा कि मेरा मूर्ख भाई उसके कहने में आ गया है, तो उस सुंदर स्त्री ने कहा कि अगर तुम सच में हमें खुश करना चाहते हो, तो एकदम हमारे जैसे हो जाओ। मेरा मूर्ख भाई उसकी इस बात का मतलब बिल्कुल भी न समझ सका। फिर उस स्त्री ने अपनी दासियों से गुलाब जल और इत्र लाने को कहा, ताकि वह अपने मेहमान का आदर-सत्कार कर सके। फिर इसके बाद उस स्त्री ने मेरे भाई पर अपने हाथ से गुलाब जल छिड़का और उसके कपड़ों पर इत्र लगाया।

इसके बाद उस स्त्री ने अपनी सेविकाओं को नाचने-गाने के लिए कहा। फिर उसने दासियों से कहा कि नए मेहमान को सजा-संवाकर कर लेकर आओ, जैसा मैं चाहती हूं। ये सुनकर मेरा भाई चौंक गया और उसने बुढ़िया से पूछा कि ये मेरे साथ क्या करने वाली हैं। इस पर बुढ़िया ने कहा कि ये तुम्हारी भौंहों को रंग देंगी और तुम्हारी मूंछे मुंडवाकर तुम्हें स्त्रियों के समान कपड़े पहनाएंगी। मेरे भाई बकबारह ने कहा कि मैं स्त्रियों के कपड़े पहन लूंगा और भौंहों को भी रंगवा लूंगा, क्योंकि उन्हें पानी से धो सकता हूं, लेकिन मैं मूंछे नहीं मुंडवाऊंगा, इससे मेरा चेहरा बड़ा खराब लगेगा। इस बात पर बुढ़िया ने कहा कि इस मामले में ज्यादा बहस नहीं करना, वरना वो सुंदरी तुमसे नाराज हो जाएगी। अगर तुमने थोड़ी भी जिद की, तो सारा मामला खराब हो जाएगा और तुम्हें फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगी। मेरा मूर्ख भाई बुढ़िया की बात मान लेता है।

इसके बाद मेरे भाई का रूप लड़की जैसा कर दिया गया। उसे लड़की के कपड़े पहनाकर उस सुंदर स्त्री के सामने लाया गया। वो स्त्री और दासियां खूब हंसे। इसके बाद उस स्त्री ने मेरे भाई को लड़की जैसा नाचने को कहा। मेरा भाई नाचने लगा। उसका नाच देखकर वहां मौजूद सभी स्त्रियां खूब जोर-जोर से हंस रही थीं। इसके बाद मेरे भाई को थप्पड़ मारे गए। मेरा भाई सब सह गया। फिर बुढ़िया ने मेरे भाई से कहा कि अब बस एक चीज रह गई है। वह सुंदर स्त्री जब किसी से बहुत खुश होती है, तो उसके साथ एक खेल खेलती है। इसमें सफल होने के बाद तुम माला-माल हो जाओगे। फिर उस सुंदरी ने मेरे भाई के कपड़े उतरवा कर लंगोट पहनवा दिया। इसके बाद वो सुंदर स्त्री दौड़ती है और मेरे भाई को उसे पकड़ने के लिए कहती है।

भागते-भागते वह एक अंधेरे कमरे में पहुंची। वह स्वंय तो तेजी से वहां से निकल गई, लेकिन मेरा भाई बकबारह अंधेरे में इधर-उधर भटकता रहा। बाद में उसे एक प्रकाश दिया और वो उस तरफ दौड़ने लगा। वो पीछे का दरवाजा था। जैसे ही मेरा भाई उस दरवाजे से बाहर निकला, वह दरवाजा बंद हो गया। मेरा भाई दरवाजे से बाहर निकलकर जहां खड़ा था, वो जूते-चप्पल बनाने वालों की गली थी। जब सभी ने मेरे भाई का वो अजीब रूप देखा, तो सब उस पर हंसने लगे। वहां मौजूद लोगों को एक शरारत सूझी और वो एक गधा लेकर आए। मेरे भाई को उस गधे पर बैठाकर वो लोग शोर मचाते हुए उसे बाजार की तरफ ले जाने लगे।

उस रास्ते पर काजी का भी घर था। काजी ने अपने नौकरों से शोर की वजह पूछी, तो नौकर उन सब लोगों को काजी के पास ले गए। उनमें से एक आदमी ने बताया कि सरकार यह आदमी हमें मंत्री के महल के पीछे वाले दरवाजे के पास इस हालात में मिला था। मंत्री के महल का नाम सुनकार काजी ने कहा कि यह आदमी पागल जान पड़ता है, जो खतरनाक हो सकता है। इसे सौ डंडे मारे जाएं और उसके बाद शहर से निकलवा दिया जाए। काजी के आदेश पर मेरे भाई के साथ ठीक वैसा ही किया गया।

इसके बाद नाई ने कहा कि सरकार यह थी मेरे दूसरे भाई बकबारह की कहानी। अब मैं आपको अपने तीसरे भाई की कहानी सुनाता हूं। इसके बाद वह खलीफा की आज्ञा लिए बिना ही कहानी सुनाने लगा। नाई के तीसरे भाई की कहानी जानने के लिए कहानी के अगले हिस्से को जरूर पढ़ें।

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