07 March 2022

तेनालीराम और नीलकेतु की कहानी - Story of Tenaliram and Neelketu

Story of Tenaliram and Neelketu-1

एक बार राजा कृष्णदेव राय के दरबार में नीलकेतु नाम का एक व्यक्ति आया। नीलकेतु काफी दुबला-पतला व्यक्ति था। वो दरबार में पहुंचा और राजा कृष्णदेव राय को बताया कि वो नीलदेश से आया है और अभी वो विश्व देखने के लिए यात्रा पर निकला है। उसने राजा को यह भी बताया कि सभी जगह घूमने के बाद वो राजा के दरबार में पहुंचा है।

यह सुनकर राजा कृष्णदेव राय काफी खुश हुए, फिर राजा ने उसका स्वागत विशेष मेहमान के रूप में किया। राजा द्वारा किए गए सम्मान और सत्कार को देखकर नीलकेतु काफी खुश हुआ। उसने राजा से बोला, ‘महाराज, मैं उस जगह के बारे में जानता हूं, जहां कई सारी परियां रहती हैं। मैं अपने जादू से उन्हें बुला भी सकता हूं।’ यह सुनकर राजा कृष्णदेव राय काफी खुश हुए और बोले, ‘अच्छा, तो इसके लिए मुझे क्या करना होगा?’

यह सुनकर नीलकेतु ने राजा को रात में तालाब के पास आने को कहा और बोला कि वो परियों को मनोरंजन और नृत्य के लिए बुला सकता है। यह सुनकर राजा ने नीलकेतु की बात मान ली। फिर जैसे ही रात हुई, राजा अपने घोड़े पर बैठकर तालाब की ओर चल दिए। राजा जैसे ही तालाब के पास पहुंचे, तो वहां पास ही में एक किले के सामने नीलकेतु राजा का इंतजार कर रहा था। राजा उसके पास पहुंचे, तो नीलकेतु ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि ‘महाराज मैंने सारा इंतजाम कर लिया है और सारी परियां किले के अंदर ही मौजूद हैं।’

राजा जैसे ही नीलकेतु के साथ किले के अंदर जाने लगे, तभी राजा के सैनिकों ने नीलकेतु को बंधक बना लिया। यह देख राजा हैरान रह गए, उन्होंने पूछा, ‘यह सब क्या हो रहा है? तुम सब ने इसे बंधक क्यों बना लिया है?’ उसी वक्त किले के अंदर से तेनालीराम बाहर आए और उन्होंने कहा, ‘महाराज मैं बताता हूं कि क्या हो रहा है।’

तेनाली ने बताना शुरू किया, उसने कहा, ‘महाराज यह नीलकेतु कोई यात्रा करने वाला नहीं है, बल्कि नीलदेश का रक्षा मंत्री है और उसने धोखे से आपको यहां बुलाया है। किले के अंदर कोई परियां नहीं है। यह सिर्फ आपको यहां मारने के लिए लेकर आया था।’

यह सुनकर राजा ने तेनालीराम को अपनी जान बचाने के लिए धन्यवाद किया और पूछा, ‘तुम्हें इस बात का कैसे पता चला तेनाली?’

फिर तेनाली ने कहा कि ‘महाराज, पहले दिन ही जब वो दरबार में आया था, उसी दिन मुझे इस पर शक हो गया था। उसके बाद मैंने इसके पीछे अपने साथियों को जासूसी के लिए लगा दिया था। जिससे मुझे पता चला कि यह आपको मारने की योजना बना रहा था।’ तेनालीराम की सूझबूझ के लिए राजा कृष्णदेव राय ने उन्हें धन्यवाद दिया।

कहानी से सीख

किसी भी नए व्यक्ति पर पूरी तरह आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए। वह आपको धोखा भी दे सकता है। इसलिए, हमेशा अपरिचित व्यक्ति की परखने के बाद ही उसकी बात का विश्वास करना चाहिए।

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