06 March 2022

खुशबू की कीमत - मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी | Mulla Nasruddin Aur Khushboo Ki Kimat

Mulla Nasruddin Aur Khushboo Ki Kimat

सालों पहले एक भिखारी नंदा नगरी में भूख से तड़पने के कारण खाने के लिए कुछ मांग रहा था। तभी उसे एक व्यक्ति कुछ रोटियां दे देता है। अब भिखारी रोटी के लिए सब्जी की तलाश में पास के ही एक पंडाल में पहुंचता है। वहां भिखारी रोटी के लिए पंडाल के मालिक से थोड़ी-सी सब्जी मांगता है। भिखारी को देखते ही गुस्से में पंडाल का मालिक उसे भगा देता है।

दुखी भिखारी किसी तरह मालिक की नजरों से बचते हुए पंडाल की रसोई में पहुंच जाता है। वहां उसे कई तरह की लजीज सब्जियां दिखती हैं। गर्म-गर्म सब्जियों से भाप निकल रही थी।

भाप को देखकर भिखारी के मन में हुआ कि अगर रोटियों को इस भाप के ऊपर रख दिया जाए, तो सब्जी की खुशबू उनमें मिल जाएगी। फिर रोटी में भी सब्जी का स्वाद आने लगेगा और सब्जी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। यह सब सोचते हुए भिखारी रोटी पर सब्जी डालने की जगह, उन्हें सब्जी से निकलने वाले भाप के ऊपर रख देता है।

तभी अचानक वहां पंडाल का मालिक आ जाता है और भिखारी को सब्जी चोरी करने के लिए पकड़ लेता है। भिखारी उससे कहता है कि मैंने सब्जी नहीं चुराई है। मैं सिर्फ सब्जी की खुशबू ले रहा था। मालिक भिखारी को धमकाते हुए कहता है कि अगर तुमने सिर्फ खुशबू ली है, तो तुम्हें उस खुशबू की भी कीमत चुकानी होगी।

डरी हुई आवाज में भिखारी उससे कहता है, “मालिक मेरे पास कुछ भी नहीं है, जिससे कि मैं खुशबू की कीमत चूका सकूं।” तब पंडाल मालिक उसे पकड़कर मुल्ला नसरुद्दीन के दरबार ले जाता है।

मुल्ला नसरुद्दीन पंडाल मालिक और भिखारी की बातों को गौर से सुनते हैं। दोनों की बातें सुनने के बाद मुल्ला कुछ देर सोचकर पंडाल मालिक से कहते हैं कि तुम्हें अपनी सब्जी की खुशबू के बदले पैसे चाहिए। पंडाल मलिका कहता है, जी हां।

फिर मुल्ला पंडाल मालिक से कहते हैं, “ठीक है, तुम्हारी सब्जी की खुशबू की कीमत मैं स्वयं दूंगा।” यह सुनते ही पंडाल मालिक खुश हो जाता है। फिर मुल्ला नसरुद्दीन उसे बताते हैं, “देखो, मैं तुम्हारी सब्जी की खुशबू की कीमत सिक्कों की खनक से अदा करूंगा।” इतना कहते ही, मुल्ला अपनी जेब से कुछ सिक्के निकालते हैं और दोनों हाथों में लेकर उन्हें खनखनाने लगते हैं। फिर उन सिक्कों को दोबारा जेब में डाल लेते हैं।

यह सब देखकर पंडाल मालिक हैरान हो जाता है। वह मुल्ला नसरुद्दीन से कहता है कि यह उन्होंने कैसी कीमत अदा की है। जवाब में मुल्ला कहते हैं, “तुम्हारी सब्जी की खुशबू इस भिखारी ने ली थी। इसी वजह से मैंने तुम्हें सिक्कों की खनक सुनाई है। अगर इस भिखारी ने सब्जी ली होती, तो तुम्हें कुछ सिक्के जरूर मिलते।”

मुल्ला का जवाब सुनकर पंडाल मालिक आंखें चुराते हुए वहां से चला जाता है। भिखारी भी खुशी-खुशी अपने रास्ते निकल जाता है।

कहानी से सीख:

बुद्धि और चतुराई से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है, जैसा इस कहानी में मुल्ला नसरुद्दीन ने पंडाल मालिक के साथ किया।

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