17 February 2022

अकबर-बीरबल: हरे घोड़े की कहानी | Green Horse Story In Hindi

Green Horse Story in Hindi

एक शाम राजा अकबर अपने प्रिय बीरबल के साथ अपने शाही बगीचे की सैर के लिए निकले। वह बगीचा बहुत ही शानदार था। चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी और फूलों की भीनी भीनी खुशबू वातावरण को और भी खूबसूरत बना रही थी।

ऐसे में राजा को जाने क्या सूझा कि उन्होंने बीरबल से कहा, “बीरबल! हमारा मन है कि इस हरे भरे बगीचे में हम हरे घोड़े में बैठ कर घूमें। इसलिए मैं तुम्हें आदेश देता हूं कि तुम सात दिनों के अंदर हमारे लिए एक हरे घोड़े का इंतजाम करो। वहीं अगर तुम इस आदेश को पूरा करने में असफल रहते हो, तो तुम कभी भी मुझे अपनी शक्ल न दिखाना।”

इस बात से राजा व बीरबल दोनों वाकिफ थे कि आज तक दुनिया में हरे रंग का घोड़ा नहीं हुआ है। फिर भी राजा चाहते थे कि बीरबल किसी बात में अपनी हार स्वीकार करें। इसी कारण उन्होंने बीरबल को ऐसा आदेश दिया। मगर, बीरबल भी बहुत चालाक थे। वो भली भांति जानते थे कि राजा उनसे क्या चाहते हैं। इसलिए वो भी घोड़ा ढूंढने का बहाना बनाकर सात दिनों तक इधर-उधर घूमते रहे।

आठवें दिन बीरबल दरबार में राजा के सामने पहुंचे और बोले, “महाराज! आपकी आज्ञा के अनुसार मैंने आपके लिए हरे घोड़े का इंतजाम कर लिया है। मगर, उसके मालिक की दो शर्तें हैं।”

राजा ने उत्सुकता से दोनों शर्तों के बारे में पूछा। तब बीरबल ने जवाब दिया, “पहली शर्त यह है कि उस हरे घोड़े को लाने के लिए आपको स्वयं जाना होगा।” राजा इस शर्त के लिए तैयार हो गए।

फिर उन्होंने दूसरी शर्त के बारे में पूछा। तब बीरबल ने कहा, “घोड़े के मालिक की दूसरी शर्त यह है कि आपको घोड़ा लेने जाने के लिए सप्ताह के सातों दिन के अलावा कोई और दिन चुनना होगा।”

यह सुन राजा हैरानी से बीरबल की ओर देखने लगे। तब बीरबल ने बड़ी सहजता से जवाब दिया, “महाराज! घोड़े का मालिक कहता है कि हरे रंग के खास घोड़े को लाने के लिए उसकी यह खास शर्तें तो माननी ही होंगी।”

राजा अकबर बीरबल की यह चतुराई भरी बात सुनकर खुश हो गए और मान गए कि बीरबल से उसकी हार मनवाना वाकई में बहुत मुश्किल काम है।

कहानी से सीख –

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सही सूझबूझ और समझदारी के साथ नामुमकिन लगने वाले काम को भी आसानी से किया जा सकता है।

Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: