13 January 2021

पति कौन है ? - विक्रम बेताल दूसरी कहानी | Who is the husband - Vikram Betal second story

Who is the husband - Vikram Betal second story

सालों पहले यमुना किनारे धर्मस्थल नाम का एक नगर हुआ करता था। वहां एक ब्राह्मण रहता था, जिसका नाम गणपति था। उसकी एक सुंदर और गुणवान बेटी थी। जैसे ही उसकी शादी की उम्र हुई, तो वो और उसका पूरा परिवार उसके लिए योग्य वर ढूंढने में लग गया। एक दिन ब्राह्मण किसी के घर पूजा करने के लिए गया और उसका बेटा भी पढ़ाई के लिए घर से बाहर चला गया। उस समय घर में ब्राह्मण की बेटी और उसकी पत्नी ही थी। उसी वक्त एक ब्राह्मण लड़का उनके घर आता है। ब्राह्मण की पत्नी उस लड़के का अच्छे से सत्कार करती है और खाना खिलाती है। लड़के का स्वभाव ब्राह्मण की पत्नी को पसंद आता है और वो उससे अपनी बेटी की शादी का वादा कर देती है।

उधर, ब्राह्मण गणपति जिनके घर पूजा करने गया था, वहां भी वो एक ब्राह्मण लड़के से मिलता है और उससे अपनी बेटी की शादी करवाने का वचन दे देता है। ब्राह्मण का बेटा जहां पढ़ने गया था, वो भी वहां एक लड़के से यही वादा कर देता है। कुछ देर बाद गणपति और उसका बेटा दोनों खुद से चुने हुए लड़के को लेकर घर पहुंचते हैं। दोनों घर में एक और ब्राह्मण लड़के को देखकर चौंक जाते हैं। अब सभी इस दुविधा में पड़ जाते हैं कि लड़की एक है और शादी का वादा तीनों ने अलग-अलग लड़कों से कर दिया है, अब क्या होगा? लड़की का विवाह किससे करवाएंगे?

इसी दुविधा के बीच पड़ोसी उनके घर खबर लेकर आता है कि उनकी बेटी को मोहल्ले में ही सांप न काट लिया है। भागा-भागा पूरा परिवार और तीनों ब्राह्मण लड़के लड़की के पास पहुंचते हैं, लेकिन तब तक लड़की की मौत हो जाती है।

यह देखकर तीनों लड़के दुखी हो जाते हैं। कुछ देर बाद लड़की का परिवार और तीनों ब्राह्मण मिलकर उसका अंतिम संस्कार करते हैं। लड़की के क्रिया-कर्म के बाद एक ब्राह्मण लड़का उसकी हड्डियां अपने साथ लेकर जंगल चला जाता है। दूसरा उसकी राख को इकट्ठा करके पोटली में बांधकर उसी श्मशान घाट में झोपड़ी बनाकर रहने लगता है। तीसरा श्मशान घाट से निकल कर लड़की के गम में देश-देश योगी बनकर घूमने लगता है। ऐसा होते-होते कई साल गुजर गए। एक दिन अचानक योगी बनकर घूम रहा ब्राह्मण किसी तांत्रिक के घर पहुंच गया। ब्राह्मण को घर में देखकर तांत्रिक खुश हुआ और उसका सत्कार किया। तांत्रिक ने योगी से कुछ दिन अपने घर में ही रहने के लिए कहा।

तांत्रिक की जिद देखकर योगी उनके घर में ही रुक गया। एक दिन तांत्रिक अपनी विद्या में बहुत लीन था और उसकी पत्नी सबके लिए खाना बना रही थी। उसी वक्त उनका बेटा रोने लगा और अपनी मां को परेशान करने लगा। तांत्रिक की पत्नी से उसे बहुत संभालने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं माना। आखिर में तांत्रिक की पत्नी को इतना गुस्सा आया कि उसने अपने बच्चे की पिटाई कर दी। उसके बाद भी जब बच्चा चुप नहीं हुआ, तो उसने उसे चूल्हे में डालकर जला दिया। यह सब देखकर योगी ब्राह्मण बहुत नाराज हुआ और बिना कुछ खाए ही अपनी पोटली लेकर उनके घर से जाने लगा। इतने में तांत्रिक आया और योगी से कहा, “महाराज खाना तैयार है, आप इस तरह गुस्से में बिना खाए यहां से न जाएं।”

गुस्से में योगी ने कहा, “मैं इस घर में एक मिनट भी नहीं रुक सकता, जहां ऐसी राक्षसी रहती हो, वहां मैं कैसे कुछ खा सकता हूंं।” इतना सुनते ही तांत्रिक झट से चूल्हे के पास जाता है और एक किताब से एक मंत्र पढ़कर अपने बेटे को जिंदा कर देता है। यह सब देखकर योगी हैरान रह जाता है। उसने सोचा कि अगर यह किताब मेरे हाथ लग जाए, तो मैं अपनी पत्नी को भी जीवित कर सकता हूं। योगी यह सोच ही रहा होता है कि उधर तांत्रिक बेटे को जीवित करने के बाद फिर से योगी से खाना खाने का आग्रह करता है। योगी खाना खाता है और वहीं रुक जाता है।

अब योगी के दिमाग में बस यही चल रहा था कि बस वो किसी तरह से उस किताब को हासिल कर ले। सोचते-सोचते रात हो जाती है। सब खाना खाकर सो जाते हैं। आधी रात को योगी उस मंत्र वाली किताब को लेकर तांत्रिक के घर से सीधे उस श्मशान घाट पहुंचता है, जहां ब्राह्मण की लड़की का अंतिम संस्कार किया गया था। वो सबसे पहले झोपड़ी बनाकर उसी जगह रह रहे ब्राह्मण को बुलाता है और उसे सारी कहानी सुनाता है। इसके बाद दोनों मिलकर फकीर बने ब्राह्मण को ढूंढते हैं।

फकीर ब्राह्मण के मिलते ही योगी ब्राह्मण दोनों से कहता है कि लड़की की हड्डी और राख लेकर आओ, मैं उसे जिंदा करूंगा। दोनों ऐसा ही करते हैं। राख और हड्डी इकट्ठा करने के बाद लड़की को जलाई हुई जगह में योगी ब्राह्मण मंत्र पढ़ता और लड़की जिंदा हो जाती है। यह देख तीनों ब्राह्मण खुश हो जाते हैं। इतनी कहानी सुनाकर बेताल चुप हो जाता है। कुछ देर बाद वह राजा विक्रम से पूछता है, “बताओ वह लड़की किसकी पत्नी हुई?” विक्रमादित्य, बेताल के दोबारा उड़ने के डर से जवाब नहीं देते।

गुस्से में बेताल कहता है, “देखो अगर तुम जवाब पता होते हुए भी नहीं दोगे, तो मैं तुम्हारी गर्दन में काट दूंगा, जल्दी से जवाब दो।” इतना सुनते ही राजा बोलते हैं, “जो ब्राह्मण श्मशान में कुटिया बनाकर रह रहा था, वो उसकी पत्नी हुई।” बेताल पूछता है, “कैसे?”

तब विक्रमादित्य जवाब देते हैं, “जो हड्डी चुनकर फकीर बन गया, वो उसका बेटा हुआ। जिसने तांत्रिक विद्या से उसे जीवित किया, वो उसके पिता समान हुआ और जो उसकी राख के साथ जीवन जी रहा था, वो ही उसका पति हुआ।”

जवाब सुनते ही बेताल ने कहा, “राजन तुमने बिलकुल सही उत्तर दिया है, लेकिन शर्त के मुताबिक तुम्हें मुंह नहीं खोलना था। इसलिए, मैं दोबारा उड़ रहा हूं।” इतना कहकर बेताल दोबारा घने जंगल के किसी पेड़ में जाकर लटक जाता है और राजा विक्रम उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने लगते हैं।

कहानी से सीख

चतुराई और बुद्धि से बड़ी से बड़ी समस्या को हल किया जा सकता है।

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